सेना प्रमुख ने जम्मू में संयुक्त सुरक्षा बैठक में आतंकवाद विरोधी अभियानों की समीक्षा की
जम्मू क्षेत्र में आतंकवादी हमलों में वृद्धि के बीच, भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने शनिवार को पुलिस मुख्यालय में जम्मू-कश्मीर पुलिस, अर्धसैनिक बलों और खुफिया एजेंसियों के साथ एक संयुक्त सुरक्षा समीक्षा बैठक में पीर पंजाल के दक्षिण में मौजूदा सुरक्षा परिदृश्य की समीक्षा की।
द्विवेदी शनिवार दोपहर करीब 2.10 बजे पहुंचे और सीधे पुलिस मुख्यालय चले गए।
बंद कमरे में हुई बैठक की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने बताया, “बैठक के दौरान सेना प्रमुख को जमीनी स्तर पर कमांडरों द्वारा क्षेत्र में चल रहे आतंकवाद विरोधी अभियानों और आतंकवादियों के खात्मे के लिए अपनाई जा रही रणनीतियों की जानकारी दी गई।” बैठक दोपहर करीब 2.45 बजे शुरू हुई और शाम 4.15 बजे तक चली।
पुलिस मुख्यालय में आयोजित बैठक में उत्तरी सेना कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचिन्द्र कुमार, नगरोटा स्थित 16 कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल नवीन सचदेव, जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आरआर स्वैन, एडीजीपी कानून एवं व्यवस्था विजय कुमार, एडीजीपी जम्मू आनंद जैन के अलावा सीमा सुरक्षा बल, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, अन्य अर्धसैनिक बलों, खुफिया एजेंसियों और गृह एवं रक्षा मंत्रालयों के अधिकारियों, खुफिया ब्यूरो के प्रमुख तपन कुमार डेका और रॉ रवि सिन्हा के शीर्ष अधिकारी शामिल हुए।
अधिकारी ने बताया, “जम्मू भर में आतंकवादी हमलों में वृद्धि को देखते हुए, सेना ने संवेदनशील क्षेत्रों में लगभग 500 पैरा कमांडो और 3,000 सैनिकों को तैनात करना शुरू कर दिया है।” उन्होंने कहा, “सेना प्रमुख ने घुसपैठ को रोकने के लिए 198 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा और 744 किलोमीटर लंबी नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ के मार्गों को प्रभावी ढंग से बंद करने पर भी जोर दिया।”
उन्होंने कहा कि बैठक में विभिन्न बलों के बीच बेहतर समन्वय और परिचालन संबंधी खामियों को दूर करने पर भी जोर दिया गया।
द्विवेदी, जिन्होंने इस वर्ष जून में भारतीय सेना प्रमुख का पद संभाला था, ने दो वर्षों तक रणनीतिक उत्तरी कमान का नेतृत्व किया था और उन्हें क्षेत्र की स्थलाकृति तथा जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकवादी समूहों की गहन जानकारी है।
सेना प्रमुख का तीन सप्ताह से भी कम समय में जम्मू का यह दूसरा दौरा था। इससे पहले 3 जुलाई को उन्होंने नियंत्रण रेखा पर सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के लिए पुंछ-राजौरी सेक्टर का दौरा किया था। 16 जुलाई को डोडा के देसा जंगलों में मुठभेड़ के दौरान कैप्टन बृजेश थापा समेत सेना के चार जवानों के शहीद होने के बाद उनका जम्मू का यह हालिया दौरा है।
इसके बाद उन्होंने शाम करीब छह बजे नई दिल्ली लौटने से पहले राजभवन में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल (एलजी) मनोज सिन्हा के साथ एक संक्षिप्त बैठक की।
सिन्हा ने शनिवार को कहा कि सुरक्षा बल जम्मू क्षेत्र में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए “कश्मीर मॉडल” अपनाएंगे।
हाल ही में हुए हमलों में सेना के काफिले पर आतंकवादियों ने घात लगाकर हमला किया था, जिसमें सैनिकों को भारी नुकसान पहुंचा जबकि सैनिक उन्हें मार नहीं पाए। 8 जुलाई और 15 जुलाई को कठुआ के माचेडी और डोडा के देसा जंगल के दूरदराज के जंगलों में हुए दो अलग-अलग आतंकी हमलों में एक कैप्टन समेत नौ सैन्यकर्मी मारे गए थे।
खुफिया एजेंसियों को प्रबल संदेह है कि कठुआ, रियासी, डोडा और उधमपुर जिलों में हाल ही में हुए हमलों में आतंकवादियों में पूर्व पाकिस्तानी सेना के जवान शामिल हो सकते हैं, जो गुरिल्ला युद्ध रणनीति में अच्छी तरह प्रशिक्षित हैं।
सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार, जम्मू-कश्मीर में इस वर्ष 30 सितम्बर से पहले विधानसभा चुनाव करा लिये जायेंगे।
नाम न बताने की शर्त पर एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, “छह साल के अंतराल के बाद होने वाले चुनावों को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने के लिए इन आतंकवादियों का खात्मा जरूरी है। अन्यथा स्थिति हाथ से निकल सकती है।”
ऐसा माना जा रहा है कि पिछले दो-तीन महीनों में जम्मू में अंतर्राष्ट्रीय सीमा के रास्ते लगभग 40 से 50 आतंकवादी घुसपैठ कर चुके हैं।
पूर्व डीजीपी डॉ. एसपी वैद ने कहा, “ये आतंकवादी दो से तीन के छोटे समूहों में बंट गए हैं। चुनाव से पहले उन्हें खत्म करना जरूरी है।”