भद्राचलम के सहायक पुलिस अधीक्षक अंकित कुमार शंखवार अश्वरावपेट के उपनिरीक्षक एस. श्रीनिवास की आत्महत्या के मामले की जांच करेंगे, जिन्होंने कथित तौर पर अपने निरीक्षक और चार कांस्टेबलों द्वारा अपमान और उत्पीड़न के कारण अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली थी।
एसआई ने कथित तौर पर 30 जून को कीटनाशक पी लिया था, जिसकी 7 जुलाई को हैदराबाद के एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। हैदराबाद की मार्केट पुलिस ने अपने अधिकार क्षेत्र में स्थित अस्पताल में एसआई की मौत के बाद जीरो एफआईआर जारी की और शव का पोस्टमार्टम करवाकर शव को एसआई के परिवार को सौंप दिया।
उन्होंने प्रक्रिया के अनुसार एसआई का मृत्युपूर्व बयान भी दर्ज करवाया। एसआई की पत्नी कृष्णवेणी द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत मामला दर्ज किया गया। मामले में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के खिलाफ अत्याचार निवारण की संबंधित धाराएं भी लगाई गईं, क्योंकि एसआई दलित समुदाय से था और उसकी पत्नी ने आरोप लगाया कि उसे जाति के आधार पर अपमानित और परेशान किया गया था।
क्षेत्राधिकार के मुद्दे पर जीरो एफआईआर को अंततः महबूबाबाद जिला पुलिस को स्थानांतरित कर दिया गया। जिला पुलिस ने शुक्रवार को मामला फिर से दर्ज किया और इसे भद्राद्री कोठागुडेम पुलिस को भेज दिया। उच्च अधिकारियों ने आत्महत्या मामले की जांच भद्राचलम एएसपी को सौंपी।
2014 बैच के एसआई श्रीनिवास भद्राद्री कोठागुडेम जिले के अश्वरावपेट के स्टेशन हाउस ऑफिसर थे। 29 जून को, वे स्टेशन के दूसरे एसआई शिवरामकृष्ण के साथ एसपी द्वारा बुलाई गई ‘अपराध समीक्षा बैठक’ में शामिल हुए। 30 जून को सुबह करीब 10 बजे वे पुलिस स्टेशन से चले गए। उनकी पत्नी ने नियमित ड्राइवर को फोन करके बताया कि वह अपने पति के दोनों मोबाइल फोन नंबरों पर संपर्क नहीं कर पा रही है। ड्राइवर ने सर्किल इंस्पेक्टर जीतेंद्र रेड्डी को सूचित किया, जिन्होंने उच्च अधिकारियों को इसकी सूचना दी।
दोपहर करीब 12.50 बजे उनके मोबाइल फोन के सिग्नल जिले के मुल्कालापल्ली इलाके में मिले। दोपहर में एसआई ने खुद 108 पर कॉल करके बताया कि उन्हें मेडिकल सहायता की जरूरत है। बाद में फोन पर हुई बातचीत में उन्होंने अपने एक वरिष्ठ अधिकारी को बताया कि उन्होंने कीटनाशक पी लिया है।
एसआई को पहले महबूबाबाद के सरकारी अस्पताल ले जाया गया और फिर वहां से वारंगल के दूसरे अस्पताल ले जाया गया। वहां से उन्हें सिकंदराबाद के निजी अस्पताल में ले जाया गया। वहां इलाज के बाद 7 जुलाई को उनकी मौत हो गई।
इस मामले में अहवराओपेट पुलिस स्टेशन के चार कांस्टेबलों को निलंबित कर दिया गया है। सीआई का तबादला कर उसे एसपी कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया है। एएसपी द्वारा तथ्यों का पता लगाने के लिए कांस्टेबलों और सीआई के बयान दर्ज किए जाने की संभावना है।