18 अगस्त, 2024 07:36 पूर्वाह्न IST
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय मनमोहन सिंह नामक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसने मई में अदालत का दरवाजा खटखटाया था और दावा किया था कि उसकी जान को खतरा है तथा उसे व्हाट्सएप के जरिए गैंगस्टर लकी पटियाल से धमकी भरे कॉल और संदेश मिल रहे हैं।
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने पंजाब के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को गैंगस्टर लकी पटियाल द्वारा मोहाली निवासी को धमकी भरे कॉल करने की जांच में पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) गुरशेर सिंह संधू या अन्य अधिकारियों के खिलाफ “कर्तव्य में लापरवाही” बरतने के लिए कार्रवाई शुरू करने को कहा है।
न्यायमूर्ति संदीप मौदगिल की पीठ ने उच्च न्यायालय के न्यायिक रजिस्ट्रार को पंजाब पुलिस द्वारा रिपोर्ट दाखिल किए जाने पर उसे रिकॉर्ड में रखने के निर्देश देते हुए कहा, ‘‘पुलिस महानिदेशक, पंजाब से अनुरोध है कि वह यह सुनिश्चित करें कि डीएसपी गुरशेर सिंह या जांच में दोषी किसी भी अन्य अधिकारी के खिलाफ ठोस और प्रभावी कार्रवाई की जाए तथा ऐसी कार्रवाई रिपोर्ट आज से एक महीने की अवधि के भीतर पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायिक रजिस्ट्रार को प्रस्तुत की जाए।’’
अदालत मनमोहन सिंह नामक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने मई में अदालत का दरवाजा खटखटाया था और दावा किया था कि उसकी जान को खतरा है और उसे गैंगस्टर लकी पटियाल से व्हाट्सएप के माध्यम से धमकी भरे कॉल और संदेश मिल रहे हैं। उसने मोहाली पुलिस पर भी निष्क्रियता का आरोप लगाया था। मामले में 24 मई को एफआईआर दर्ज की गई थी।
29 जुलाई को कोर्ट ने कहा था कि डीएसपी संधू की भूमिका “संदेह के घेरे में है और यह कर्तव्य की उपेक्षा के बराबर है”। कोर्ट ने यह टिप्पणी याचिकाकर्ता द्वारा कुछ दस्तावेज पेश किए जाने के बाद की थी, जिसमें पता चला था कि शिकायतकर्ता याचिकाकर्ता ने डीएसपी को कुछ कॉल किए थे, जिन्होंने उनका जवाब नहीं दिया। इसके अलावा, पुलिस ने इस तथ्य के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की कि फोन नंबर और रिकॉर्ड की गई बातचीत भी पुलिस अधिकारियों के साथ साझा की गई थी। तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) संदीप कुमार गर्ग ने मामले की सुनवाई के दौरान मामले में कार्रवाई करने का वादा किया था।
हालांकि, जब मोहाली पुलिस ने 13 अगस्त को ताजा स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की तो उसमें कहा गया कि 8 अगस्त को डीएसपी संधू को नोटिस जारी कर पूछा गया था कि क्यों न उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की जाए। पुलिस ने अदालत को यह भी बताया था कि संधू को डीएसपी स्पेशल सेल, मोहाली से डीएसपी 9वीं बटालियन, पंजाब सशस्त्र पुलिस (पीएपी), अमृतसर में स्थानांतरित कर दिया गया था और अब वह मामले की जांच से जुड़े नहीं हैं।
जवाब से असंतुष्ट होकर अदालत ने कहा कि स्थिति स्पष्ट करने और अदालत को संतुष्ट करने का प्रयास किया गया है कि डीएसपी संधू के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जा रही है, लेकिन न तो कारण बताओ नोटिस रिकॉर्ड पर रखा गया है और न ही यह स्पष्ट किया गया है कि प्रस्तावित कार्रवाई किस प्रावधान के तहत शुरू की गई है।
अदालत ने पंजाब के गृह सचिव और डीजीपी से यह सुनिश्चित करने को कहा कि यदि कोई कार्रवाई आवश्यक हो तो वह सेवा शर्तों को नियंत्रित करने वाले सेवा नियमों के अनुसार “बिना किसी विलंब की रणनीति अपनाए” की जाए। अदालत ने कहा, “कानून को यह ज्ञात नहीं है कि कोई भी विभागीय कार्रवाई करने से पहले संबंधित अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी करने की आवश्यकता होती है, ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई क्यों न की जाए, जबकि कर्तव्य में लापरवाही के लिए संबंधित सेवा नियमों के तहत सीधे कारण बताओ नोटिस जारी किया जाना चाहिए।”