प्रवर्तन निदेशालय का लोगो। फ़ाइल
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), रांची ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत उनके और अन्य के खिलाफ दर्ज मामले में मोहम्मद इजहार अंसारी की 9.67 करोड़ रुपये मूल्य की 62 अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया है।
ईडी ने झारखंड पुलिस द्वारा तत्कालीन भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860 और कोयला खान अधिनियम, 2017 की विभिन्न धाराओं के तहत श्री अंसारी, उनके ट्रक चालक सैय्यद सलमानी और अन्य के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के आधार पर जांच शुरू की।
आरोप पत्र दायर किया गया और पुलिस ने अवैध रूप से परिवहन किये गये 19.56 मीट्रिक टन कोयले तथा उसे ले जा रहे ट्रक को जब्त कर लिया।
ईडी के आधिकारिक बयान में कहा गया है कि उसकी जांच से पता चला है कि श्री अंसारी ने कोल लिंकेज नीति का दुरुपयोग किया था, जिसके तहत कैप्टिव उपभोग के लिए इजहार अंसारी के लघु एवं मध्यम उद्यमों (एसएमई) को सब्सिडी वाला कोयला आवंटित किया गया था।
बयान में कहा गया है, “श्री अंसारी की 13 (तेरह) ऐसी एसएमई फर्मों को लगभग 86,568 मीट्रिक टन कोयला आवंटित किया गया था, लेकिन इसे अपने स्वयं के उपभोग के लिए कच्चे माल के रूप में उपयोग करने के बजाय, श्री अंसारी ने कोयले को खुले बाजार में बेच दिया और 71.32 करोड़ रुपये की अपराध आय (पीओसी) अर्जित की।”
आगे की जांच से पता चला कि ये 13 फर्म/संस्थाएं अपने दिए गए पते पर या तो काम नहीं कर रही थीं या फिर मौजूद ही नहीं थीं।
जांच से यह भी पता चला है कि उन्होंने ऐसे कोयले (रियायती दर पर) को वाराणसी और धनबाद की खुली कोयला मंडियों में ऊंचे दामों पर बेचकर भारी मात्रा में पी.ओ.सी. अर्जित किया है और उसी पी.ओ.सी. को कई अचल संपत्तियों में निवेश भी किया है।
ईडी की जांच से पता चला है कि इस तरह के सब्सिडी वाले कोयला आवंटन के बदले में श्री अंसारी कुछ लोक सेवकों को रिश्वत/कमीशन देते थे।
ईडी ने श्री अंसारी के ठिकानों पर छापेमारी की थी और इसके परिणामस्वरूप 3.68 करोड़ रुपये नकद बरामद हुए थे। इसके बाद श्री अंसारी को 16 जनवरी को गिरफ्तार कर लिया गया और अब वे न्यायिक हिरासत में हैं।
इसके अलावा, श्री अंसारी, इस्तियाक अहमद और मेसर्स राजहंस इस्पात प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ अभियोजन शिकायत (पीसी) 15 मार्च को विशेष (पीएमएलए) कोर्ट, रांची के समक्ष दायर की गई थी और अदालत ने 18 मार्च 2024 को पीसी का संज्ञान लिया है।