मंगलवार रात को हुई परिषद की बैठक में सिन्हा के अलावा उनके सलाहकार राजीव राय भटनागर, मुख्य सचिव अटल डुल्लू और प्रमुख सचिव मंदीप के भंडारी भी शामिल हुए।
प्रवक्ता ने कहा, “इससे जम्मू क्षेत्र के हजारों परिवारों को काफी सशक्त बनाया जा सकेगा। यह उल्लेख करना उचित है कि वर्ष 2019 के पुनर्गठन के बाद, भारत सरकार द्वारा पश्चिमी पाकिस्तान से विस्थापित व्यक्तियों को अधिवास अधिकार प्रदान किए गए हैं।”
वह 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने का जिक्र कर रहे थे। यह अनुच्छेद पूर्ववर्ती राज्य को विशेष दर्जा प्रदान करता था।
1947 में विभाजन के दौरान पाकिस्तान से जम्मू-कश्मीर, विशेषकर जम्मू में आये लगभग 22,170 परिवार तब से नागरिकता और भूमि स्वामित्व अधिकार की मांग कर रहे हैं।
वेस्ट पाकिस्तान रिफ्यूजी एसोसिएशन के अध्यक्ष लाभ राम गांधी ने कहा, “75 साल बाद हमें सरकार से हमारे अधिकार मिले हैं। हम पाकिस्तान में सबकुछ छोड़कर जम्मू-कश्मीर आए थे, लेकिन 75 साल से हम न्याय और मालिकाना हक का इंतजार कर रहे हैं। अब हमें दशकों बाद यह मिला है, जिससे 22,170 परिवारों को फायदा होगा।”
अनुच्छेद 370 ने पूर्ववर्ती राज्य को विशेष दर्जा दिया और स्थायी निवासियों को निवास, संपत्ति और सरकारी नौकरियों जैसे मामलों में विशेष विशेषाधिकार दिए। अनुच्छेद 370 के निरस्त होने से इन शरणार्थियों को भूमि पर कब्ज़ा देने का रास्ता साफ हो गया, जो अब विधानसभा चुनावों में भी मतदान कर सकते हैं।
“पश्चिमी पाकिस्तान के विस्थापितों को राज्य की भूमि पर मालिकाना हक देने से वे पीओजेके के विस्थापितों के बराबर आ जाएंगे [Pakistan Occupied J&K] प्रवक्ता ने कहा, ‘‘उनकी लंबे समय से लंबित मांग भी पूरी की जाएगी।’’
परिषद ने राज्य की भूमि के संबंध में 1965 के विस्थापितों को मालिकाना हक प्रदान करने को भी मंजूरी दी। प्रवक्ता ने कहा, “सरकार हमेशा 1965 के विस्थापितों को लाभ प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध रही है, जैसा कि 1947 और 1971 के विस्थापितों को दिया गया है। राजस्व विभाग यह सुनिश्चित करेगा कि परिचालन दिशा-निर्देशों में उचित सुरक्षा उपाय किए जाएं, ताकि किसी भी तरह के दुरुपयोग, खासकर राज्य की भूमि पर अनधिकृत अतिक्रमण को रोका जा सके।”