लखनऊ: ‘के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग के बाद’भोले बाबा‘ उर्फ नारायण साकार हरि हाथरस भगदड़ के सिलसिले में जिसमें कम से कम 121 लोगों की जान चली गई, बसपा अध्यक्ष मायावती बुधवार को उन्होंने एसआईटी के निष्कर्षों को “राजनीति से प्रेरित और सत्संग के मुख्य आयोजक ‘भोले बाबा’ को क्लीन चिट देने का प्रयास” करार दिया।
मायावती ने बुधवार को ‘एक्स’ पर लिखा, “एसआईटी द्वारा सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट मामले की संवेदनशीलता व गंभीरता के अनुरूप न होकर राजनीति से प्रेरित प्रतीत होती है। हाथरस में सत्संग के दौरान मची भगदड़ में महिलाओं व बच्चों समेत 121 लोगों की दर्दनाक मौत सरकार की ढिलाई का जीता जागता उदाहरण है।”
उन्होंने कहा कि कार्यक्रम के मुख्य आयोजक ‘भोले बाबा’ की भूमिका पर एसआईटी की चुप्पी चिंता का विषय है। मायावती ने कहा, “उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के बजाय उन्हें क्लीन चिट देने की कोशिश बहस का विषय है। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।”
‘भोले बाबा’ या सूरजपाल जाटव का राज्य के पश्चिमी इलाकों में दलितों और हाशिए पर पड़े लोगों के बीच बहुत बड़ा समर्थन है। मायावती, जिन्होंने हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में अपना जाटव वोट खो दिया है, भगदड़ में मारे गए लोगों के बारे में चिंता व्यक्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं। 2 जुलाई को, जिस दिन यह घटना हुई, उन्होंने पूरी तरह से जांच की मांग की। जांच उन्होंने पीड़ित परिवारों के लिए पर्याप्त वित्तीय सहायता की मांग की। उन्होंने घटना में शामिल ‘भोले बाबा’ और अन्य लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की भी मांग की। उन्होंने कहा कि सरकार को राजनीतिक हितों से ऊपर उठकर ऐसे सभी स्वयंभू बाबाओं पर कार्रवाई करनी चाहिए ताकि कीमती जिंदगियां बचाई जा सकें।
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हाथरस भगदड़ की जांच पर नवीनतम अपडेट प्राप्त करें। एसआईटी रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है, जिसमें प्रमुख निष्कर्ष और सिफारिशें सामने आई हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ ने दुखद घटना के पीछे की सच्चाई को उजागर करने के लिए न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं।