श्रीनगर संसदीय क्षेत्र से सांसद रूहुल्लाह मेहदी ने शनिवार को कहा कि उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और विभिन्न भारतीय जेलों में बिना सुनवाई के बंद जम्मू-कश्मीर के कैदियों को रिहा करने की मांग की।
नेशनल कांफ्रेंस के नेता मेहदी ने ‘एक्स’ से कहा कि उन्होंने शुक्रवार को शाह से मुलाकात की और उनसे जम्मू-कश्मीर के उन सैकड़ों कैदियों की रिहाई के लिए कहा, जो वर्षों से बिना सुनवाई के जेल में बंद हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘और, मैंने उन लोगों को भी जम्मू-कश्मीर की जेलों में स्थानांतरित करने के लिए कहा जो विचाराधीन हैं और अभी तक दोषी नहीं ठहराए गए हैं।’’
मेहदी ने कहा कि बिना किसी सुनवाई के हिरासत में रखे गए ज़्यादातर कैदी युवा हैं। उन्होंने कहा, “सरकार की ओर से इन लोगों को उस उम्र में हिरासत में रखना अनुचित है जो करियर और राष्ट्र निर्माण के लिए निर्णायक होती है। इसलिए, मैं उनकी रिहाई को ज़रूरी मानता हूँ और सरकार से अपील करता हूँ कि बिना किसी सुनवाई के कैदियों को जल्द से जल्द रिहा किया जाए।”
कश्मीर और देश के बाकी हिस्सों के बीच मौसम की स्थिति में अंतर का हवाला देते हुए उन्होंने देश की विभिन्न जेलों में बंद दोषियों और विचाराधीन कैदियों को वापस केंद्र शासित प्रदेश में स्थानांतरित करने की मांग की।
उन्होंने पत्र में कहा, “जो कैदी दोषी हैं या विचाराधीन हैं, उन्हें मानवीय आधार पर घाटी में स्थानांतरित किया जाना चाहिए। इन कैदियों के रिश्तेदारों के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में उनसे मिलना शारीरिक और आर्थिक रूप से भी मुश्किल है।”
मीरवाइज ने भारत और विपक्ष के नेतृत्व से राजनीतिक कैदियों की रिहाई की अपील की
श्रीनगर स्थित ग्रैंड मस्जिद के मुख्य मौलवी और हुर्रियत नेता मीरवाइज उमर फारूक ने देश और विपक्ष के नेतृत्व से अपील की है कि वे उच्च तापमान के बीच देश की विभिन्न जेलों में बंद कश्मीर के कैदियों की स्थिति पर ध्यान दें और उनकी रिहाई के लिए कदम उठाने का आग्रह किया है।
मीरवाइज ने जामिया मस्जिद में शुक्रवार को दिए गए अपने उपदेश का शनिवार को ‘एक्स’ पर अपलोड किए गए एक वीडियो में कहा कि वह इस भीषण गर्मी में जम्मू और दिल्ली की विभिन्न जेलों में बंद कश्मीरी राजनीतिक कैदियों की स्थिति को लेकर चिंतित हैं।
उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद थी कि सरकार लचीली नीति अपनाएगी और हजारों राजनीतिक कैदियों को रिहा किया जाएगा। क्योंकि इनमें से कई ऐसे हैं जिन पर पीएसए और यूएपीए जैसे कानून लगाए गए हैं, जिसके तहत अधिकतम पांच साल की जेल हो सकती है। लेकिन ये लोग जम्मू या तिहाड़ की जेलों में 8-9 साल से बंद हैं।”
मीरवाइज ने कहा कि कोई भी उनके बारे में बात नहीं करता। उन्होंने कहा, “पहले मानवाधिकार संगठन हुआ करते थे, लेकिन उन पर प्रतिबंध लगा दिए गए। जो वकील इस बारे में बात करते थे, उन्हें हिरासत में ले लिया जाता था। हम भारत के लोगों, नागरिक समाज, अंतरराष्ट्रीय समुदाय, भारत के नेतृत्व, विपक्ष से अपील करते हैं कि भगवान के लिए इस पर कुछ कदम उठाएं।”