पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बुधवार को कहा कि उनकी सरकार 2015 के गुरु ग्रंथ साहिब बेअदबी मामले में सिरसा डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देगी।
विधानसभा सत्र के तीसरे और अंतिम दिन मान का यह बयान विपक्ष के बढ़ते दबाव के बीच आया है, जिसने मुख्यमंत्री, जिनके पास गृह विभाग का प्रभार भी है, पर “लगभग दो साल तक अभियोजन की मंजूरी में देरी करने” का आरोप लगाया है।
चर्चा में भाग लेते हुए मान ने सदन को बताया कि उनकी सरकार बेअदबी के दोषियों को कड़ी सजा दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है तथा इस मामले से संबंधित नई रिपोर्ट जल्द ही दाखिल की जाएगी।
मुख्यमंत्री का यह बयान उनके पार्टी विधायक कुंवर विजय प्रताप सिंह द्वारा विधानसभा में बेअदबी की घटनाओं का मुद्दा उठाए जाने के कुछ ही देर बाद आया। उन्होंने कहा, “राज्य सरकार को बेअदबी की घटनाओं में अहम सुराग मिले हैं और कानूनी जांच के लिए नई रिपोर्ट पहले ही भेज दी गई है।”
इस भावनात्मक मुद्दे पर नरम रुख अपनाने के लिए पिछली सरकारों की आलोचना करते हुए मान ने कहा कि इस ढिलाई के कारण ही ऐसे अपराधी जिन्होंने इस तरह का अक्षम्य अपराध करके सिखों की मानसिकता को चोट पहुंचाई है, आज भी खुलेआम घूम रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन खूंखार अपराधियों को सजा दिलाना उनकी सरकार का परम कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि इस अपराध में शामिल हर व्यक्ति को इस पाप के लिए कड़ी सजा दिलाई जाएगी।
सोमवार को विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने सदन में कहा था कि सरकार राम रहीम के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति में देरी कर रही है। कांग्रेस विधायक परगट सिंह ने कहा कि राज्य पुलिस ने मामले में काफी पहले ही चार्जशीट तैयार कर ली थी, लेकिन फाइल मुख्यमंत्री के पास पड़ी हुई है।
ये घटनाएं 2015 में फरीदकोट में गुरु ग्रंथ साहिब की एक ‘बीर’ (प्रति) की चोरी से जुड़ी हैं। बरगारी में कुछ हस्तलिखित अपवित्र पोस्टर और पवित्र ग्रंथ के फटे हुए पन्ने बिखरे हुए पाए गए थे। इन घटनाओं के कारण फरीदकोट में अपवित्रता के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए थे।
अक्टूबर 2015 में प्रदर्शनकारियों पर पुलिस गोलीबारी में बेहबल कलां में दो लोग मारे गए थे, जबकि फरीदकोट के कोटकपुरा में कुछ लोग घायल हो गए थे।
2022 में आरोपपत्र दाखिल होने के बाद पिछले साल मामला चंडीगढ़ की एक अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया था। सरकार ने सात आरोपियों के मामले में अभियोजन की मंजूरी दे दी है, लेकिन डेरा प्रमुख का मामला अभी भी लंबित है।
इससे पहले शून्यकाल के दौरान कुंवर विजय प्रताप सिंह ने सदन में बेअदबी मामले पर विस्तृत चर्चा की मांग की और अध्यक्ष से बहस के लिए सत्र को एक दिन बढ़ाने का आग्रह किया।