31 जुलाई, 2024 11:39 PM IST
सतनाम सिंह संधू ने स्कूली छात्रों को सिख धर्म के प्रतीकों से परिचित कराने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों और स्कूली छात्रों के बीच पंजाब के स्वतंत्रता सेनानियों की कहानियों/जीवनी को लोकप्रिय बनाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का विवरण मांगा था।
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) द्वारा विकसित पाठ्यपुस्तकों में आठ अध्याय हैं तथा प्राथमिक पाठ्यपुस्तकों में पंजाब राज्य के बारे में उल्लेख किया गया है।
यह बात शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने संसद में राज्यसभा सदस्य सतनाम सिंह संधू के प्रश्न का उत्तर देते हुए कही।
संधू ने स्कूली छात्रों को सिख धर्म के प्रतीकों से परिचित कराने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों और स्कूली छात्रों के बीच पंजाब के स्वतंत्रता सेनानियों की कहानियों/जीवनी को लोकप्रिय बनाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का ब्यौरा मांगा था।
चौधरी ने कहा कि ये अध्याय कक्षा 7 की इतिहास की पाठ्यपुस्तक में अध्याय संख्या 6, ‘एक करीबी नज़र: बाबा गुरु नानक’ और अध्याय संख्या 8, ‘सिख’ (पृष्ठ संख्या 100) के रूप में हैं।
मंत्री ने कहा कि कक्षा 8 की इतिहास की पाठ्यपुस्तक में सिखों और पंजाब के इतिहास पर अध्याय संख्या 2, ‘महाराजा रणजीत सिंह’ (पृष्ठ संख्या 19) और अध्याय संख्या 7, ‘सिंह सभा आंदोलन’ (पृष्ठ संख्या 91), अध्याय संख्या 8 और लाला लाजपत राय (पृष्ठ संख्या 98), जलियांवाला बाग (पृष्ठ संख्या 100), और भगत सिंह (पृष्ठ संख्या 104) के रूप में और अध्याय हैं।
मंत्री ने कहा कि संविधान में शिक्षा समवर्ती सूची का हिस्सा है और राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पास उपरोक्त मुद्दों को उजागर करने के लिए अपने स्वयं के प्रासंगिक पाठ्यक्रम हैं।
संधू ने पंजाब के आनंदपुर साहिब में सैन्य प्रशिक्षण अकादमी का मुद्दा भी उठाया।
बुधवार को राज्यसभा में आनंदपुर साहिब में सैन्य प्रशिक्षण अकादमी का मुद्दा उठाते हुए संधू ने सैन्य अकादमी की स्थापना के लिए केंद्र से हस्तक्षेप करने की मांग की, जिसकी घोषणा 8 अप्रैल, 1999 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने आनंदपुर साहिब में खालसा पंथ की 300वीं वर्षगांठ समारोह के दौरान की थी।
सांसद ने आनंदपुर साहिब के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, “आनंदपुर साहिब शहर पंजाबी समुदाय और सिखों के लिए बहुत ऐतिहासिक महत्व रखता है। आनंदपुर साहिब सिख धर्म की शिक्षाओं और पारंपरिक आध्यात्मिक मूल्य प्रणाली से बहुत करीब से जुड़ा हुआ है। यह सिखों के पांच सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। यहीं पर गुरु गोविंद सिंह ने 1699 में वैसाखी के दिन खालसा पंथ की स्थापना की थी।” उन्होंने कहा कि हर साल दुनिया भर से लाखों तीर्थयात्री तख्त श्री केसगढ़ साहिब गुरुद्वारे में मत्था टेकने आते हैं। आनंदपुर साहिब का होला मोहल्ला उत्सव दुनिया भर में प्रसिद्ध है।
संधू ने कहा, ‘‘वाजपेयी ने 1999 में इस पवित्र शहर में एक रक्षा अकादमी स्थापित करने का वादा किया था, लेकिन बाद में इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया और तब से यह लंबित पड़ा है।’’