शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने बुधवार को 2015 में बरगाड़ी में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामलों में मुख्यमंत्री भगवंत मान की भूमिका पर सवाल उठाए और आरोप लगाया कि उनकी सरकार आरोपियों को बचा रही है।
यहां एसजीपीसी कार्यालय में पत्रकारों को संबोधित करते हुए धामी ने कहा, ‘‘पंजाब की भगवंत मान के नेतृत्व वाली सरकार बेअदबी मामलों के मुख्य आरोपियों में से एक प्रदीप कलेर को बचा रही है, वहीं वह डेरा सिरसा प्रमुख गुरमीत राम रहीम और उसकी सहयोगी हनीप्रीत के खिलाफ मुकदमा चलाने से भाग रही है, जबकि कलेर के बयान में उनके नाम सामने आ चुके हैं।’’
उन्होंने कहा कि एसजीपीसी इस गंभीर मामले में पंजाब के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मुलाकात का समय मांगेगी और यदि वह सकारात्मक जवाब नहीं देते तो सिख संगठन पंजाब के राज्यपाल से संपर्क करेगा तथा आवश्यक कानूनी कार्रवाई भी शुरू करेगा।
उन्होंने कहा, “पंजाब सरकार ने कोर्ट में क्लेर के बयानों के बावजूद गुरमीत राम रहीम और हनीप्रीत को गिरफ्तार नहीं किया है। इसके अलावा, गृह विभाग द्वारा राम रहीम और अन्य के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी नहीं दी जा रही है।”
उन्होंने कहा कि कलेर का नाम भी बेअदबी से जुड़े तीन मामलों में है, लेकिन उसे सिर्फ एक मामले में गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने कहा, “अन्य दो मामलों में उसकी गिरफ्तारी अभी भी लंबित है, जबकि अदालत ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया है।” उन्होंने कहा, “इससे यह स्पष्ट है कि भगवंत मान सरकार बेअदबी के मुद्दे पर सिर्फ राजनीति कर रही है और दोषियों को बचाने तथा उन्हें हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने पर तुली हुई है।”
धामी ने कलेर के खिलाफ दर्ज तीन एफआईआर और कोर्ट के आदेशों की प्रतियां भी दिखाईं। उन्होंने मांग की कि डेरा प्रमुख, हनीप्रीत और कलेर को तुरंत गिरफ्तार कर उन पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
धामी ने बेअदबी मामलों में पूर्व आईजी रणबीर सिंह खटरा के ‘गैरजिम्मेदाराना’ बयानों की भी कड़ी निंदा की। धामी का यह बयान बरगारी बेअदबी मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) का नेतृत्व करने वाले खटरा द्वारा अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह से मुलाकात करने और पंजाब सरकार, शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) और एसजीपीसी के खिलाफ आरोप लगाने के कुछ दिनों बाद आया है।
धामी ने कहा, “पूर्व एसआईटी प्रमुख खटरा झूठे आरोप लगाकर सिख संगठन को बदनाम कर रहे हैं। एसजीपीसी कभी भी सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट के पक्ष में नहीं थी और संघीय एजेंसी की रिपोर्ट को खारिज कर दिया गया था। एसजीपीसी ने 17 जुलाई, 2019 को कार्यकारी बैठक में एक प्रस्ताव भी पारित किया और कानूनी कार्यवाही शुरू की गई।”
उन्होंने कहा, “एसजीपीसी इस मामले में आज भी कानूनी लड़ाई लड़ रही है। इसके साथ ही एसजीपीसी ने गुरमीत राम रहीम के खिलाफ पक्षकार बनने के लिए हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की है, जिसकी अगली तारीख 9 अगस्त तय की गई है। एसजीपीसी सरकार द्वारा रहीम को बार-बार दिए जा रहे पैरोल और फरलो को रोकने के लिए हाईकोर्ट में अलग से कानूनी लड़ाई लड़ रही है।”