पितृ पक्ष, जिसे श्राद्ध या महालया पक्ष के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में अपने पूर्वजों या पितरों को सम्मान देने और उनका आदर करने के लिए समर्पित एक महत्वपूर्ण अवधि है। पितृ पक्ष की जड़ें प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों, जैसे गरुड़ पुराण और महाभारत में पाई जा सकती हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि इस समय के दौरान, परलोक का द्वार खुल जाता है, जिससे दिवंगत आत्माएं अस्थायी रूप से सांसारिक क्षेत्र में वापस आ जाती हैं।
यह साल का एक बेहद शुभ समय होता है जब परिवार के दिवंगत लोगों को याद किया जाता है। पितृ पक्ष सोलह दिनों की अवधि तक मनाया जाता है जब पिंडदान, श्राद्ध और पितृ तर्पण जैसे शुभ अनुष्ठान किए जाते हैं।
श्राद्ध तिथि 2024
द्रिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष पितृ पक्ष भाद्रपद, शुक्ल पूर्णिमा 17 सितंबर से शुरू होगा और 2 अक्टूबर, आश्विन, कृष्ण अमावस्या तक चलेगा।
श्राद्ध कर्म के लिए शुभ समय 2024
द्रिक पंचांग के अनुसार श्राद्ध कर्म का शुभ समय होगा,
कुटुप मुहूर्त: सुबह 11:50 से दोपहर 12:39 तक
रोहिन मुहूर्त: दोपहर 12:39 से दोपहर 01:28 तक
पितृ पक्ष का महत्व
पितृ पक्ष हिंदू संस्कृति में कई कारणों से अत्यधिक महत्व रखता है:
पैतृक श्रद्धा: यह वह समय है जब हिंदू अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता और सम्मान व्यक्त करते हैं, परिवार की वंशावली को आकार देने में उनकी भूमिका को स्वीकार करते हैं तथा समृद्धि और कल्याण के लिए उनका आशीर्वाद मांगते हैं।
कर्म शुद्धि: हिंदुओं का मानना है कि पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध अनुष्ठान करने से पूर्वजों की आत्माओं के कष्टों को कम करने और परिवार के भाग्य को प्रभावित करने वाले किसी भी नकारात्मक कर्म को साफ करने में मदद मिलती है।
कर्तव्यों का निर्वहन: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष अनुष्ठानों का पालन करना एक नैतिक और धार्मिक कर्तव्य (धर्म) माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इन अनुष्ठानों की उपेक्षा करने से पूर्वजों में असंतोष पैदा हो सकता है, जो बदले में जीवित लोगों के लिए दुर्भाग्य ला सकता है।
श्राद्ध अनुष्ठान 2024
पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध कर्म बहुत ही श्रद्धा और सावधानी से किया जाता है। इस अवधि से जुड़ी कुछ ज़रूरी प्रथाएँ इस प्रकार हैं:
पिंड दानपिंड या चावल के गोले बनाकर मृतक पूर्वजों को अर्पित किए जाते हैं। पिंडों की संख्या और आकार मृतक की उम्र और लिंग के आधार पर अलग-अलग होते हैं।
भोजन प्रसाद: इस दिन पितरों को प्रसाद के रूप में कई तरह के व्यंजन बनाकर दिए जाते हैं। इसमें खीर, पूरी, सब्जी और मिठाई जैसे व्यंजन शामिल होते हैं। भोजन को केले के पत्ते या थाली में रखकर पितरों को अर्पित किया जाता है।
तिथि श्राद्धमृत पूर्वज की पुण्यतिथि (तिथि) के विशिष्ट दिन पर, अतिरिक्त अनुष्ठानों और प्रसाद के साथ एक अधिक विस्तृत श्राद्ध समारोह किया जाता है।
दानपितृ पक्ष के दौरान पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पुण्य अर्जित करने के रूप में जरूरतमंदों को दान देने और धर्मार्थ कार्य करने की प्रथा है।
ब्राह्मणों को भोजन कराना: इस अवधि के दौरान ब्राह्मणों को भोजन कराना और उनका आशीर्वाद लेना एक अन्य सामान्य प्रथा है।