छात्र भगवा ध्वज लेकर कॉलेज के गेट पर ‘जय श्री राम’ के नारे लगाने लगे
कॉलेज में छात्र भगवा ध्वज लेकर ‘जय श्री राम’ के नारे क्यों लगाने लगे?
वाराणसी का उदय प्रताप कॉलेज, जिसे आमतौर पर यूपी कॉलेज के नाम से जाना जाता है, अपनी शैक्षिक उत्कृष्टता के लिए प्रसिद्ध है। इस कॉलेज का परिसर ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। हाल ही में, कॉलेज के परिसर में स्थित एक मजार को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ है। मजार, जो इस क्षेत्र में रह रहे संप्रदायों के लिए आस्था का केंद्र रहा है, को हटाने की मांग को लेकर छात्रों ने प्रदर्शन आयोजित किया। यह घटनाक्रम कॉलेज परिसर के भीतर धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक पहचान से संबंधित कुछ ज्वलंत मुद्दों को उजागर करता है।
छात्रों के इस प्रदर्शन में शामिल लोग मजार को हटाने का समर्थन कर रहे हैं, उनका तर्क है कि यह स्थान शैक्षिक गतिविधियों के लिए उचित नहीं है और इससे कॉलेज की विपुलता पर प्रभाव पड़ता है। इसके अतिरिक्त, कुछ छात्रों का मानना है कि मजार का अस्तित्व धार्मिक विभाजन को बढ़ावा देता है जिसे वे समाप्त करना चाहते हैं ताकि कॉलेज का माहौल समरसता और एकता का प्रतीक बन सके। प्रदर्शनकारियों के अनुसार, शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ज्ञान और विवेक को फैलाना
छात्रों का प्रदर्शन
हाल ही में वाराणसी के यूपी कॉलेज में 500 से अधिक छात्रों ने एक संगठित प्रदर्शन का आयोजन किया। इस प्रदर्शन का उद्देश्य कॉलेज परिसर में स्थित एक मजार को हटाने की मांग करना था। छात्रों ने भगवा ध्वज थामे हुए ‘जय श्री राम’ के नारे लगाना प्रारंभ किया, जो कि उनके भावनात्मक और सांस्कृतिक जुड़ाव को दर्शाता है। प्रदर्शन सुबह के समय कॉलेज के मुख्य गेट पर आयोजित किया गया, जहां छात्रों ने एकत्रित होकर एकता और अपनी माँग को उजागर करने का प्रयास किया।
स्कूल के छात्रों ने कॉलेज के अंदर प्रवेश की कोशिश की, इस दौरान गेट पर मौजूद सिपाहियों ने उन्हें रोक लिया। छात्र नेता विश्वनाथ सिंह ने कहा कि जब मजार की जमीन वक्फ बोर्ड नहीं है तो यहां से मजार को हटा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर मजार पर नमाज पढ़ी जाती है तो छात्र भी कहीं भी हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे।

पुलिस ने केस फर्नीचर शांत
इस बीच, सहायक पुलिस कमिश्नर (एसीपी)-कांत विदुषी सक्सेना ने बताया कि कॉलेज के गेट पर पर्याप्त संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। शुक्रवार को छात्रों का एक समूह अपनी बात रखता आया था। इस दौरान छात्र थोड़ा आक्रामक भी हो गए। पुलिस ने मामले को शांत कराया है। इस दौरान कुछ गुंडागर्दी करने वालों की भी पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जरूरत है।
विद्यार्थियों ने हनुमान चालीसा का पाठ किया
उदय प्रताप कॉलेज परिसर में स्थित एक मजार को हटाने की मांग को लेकर बढ़ते तनाव के बीच पुलिस ने छात्रों को कॉलेज परिसर में बाहरी छात्रों के प्रवेश पर रोक लगा दी थी और केवल वैध पहचान पत्र वाले छात्रों को ही अंदर जाने की अनुमति दी थी।
इससे पहले मंगलवार को मजार के पास नमाज पढ़ते हुए छात्रों ने हनुमान चालीसा का पाठ किया था। स्थानीय पुलिस का कहना है, मंगलवार को विवाद के बाद सात लोगों को हिरासत में लिया गया था। बढ़ते तनाव को देखते हुए पुलिस ने कॉलेज परिसर में बाहरी छात्रों के प्रवेश पर रोक लगा दी और केवल वैध पहचान पत्र वाले छात्रों को ही प्रवेश दिया।
वक्फ बोर्ड को पत्र
इससे जुड़ी एक घटना में कॉलेज के छात्रों ने एक छात्र का गठन किया है और 11 अंकों का एक पत्र उत्तर प्रदेश वक्फ बोर्ड को बताया गया है, इस मजार की स्थिति और इसके स्वामित्व के संबंध में 15 दिनों के भीतर उत्तर मांगा गया है।
वक्फ बोर्ड और कॉलेज प्रशासन का दावा
अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी के संयुक्त सचिव मोहम्मद यासीन ने कहा कि उन्होंने इस मजार की स्थिति जानने के लिए उत्तर प्रदेश सेंट्रल वक्फ बोर्ड को पत्र लिखा है। पूर्व उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने दावा किया था कि यह कॉलेज परिसर में बनी मजार और इसके पास की जमीन वक्फ की संपत्ति है। इस दावे को कॉलेज प्रशासन ने खारिज कर दिया था।
छात्र नेताओं की प्रतिक्रिया
हाल के दिनों में वाराणसी के यूपी कॉलेज में मजार हटाने को लेकर छात्र नेताओं के बीच भारी चर्चा हुई है। विश्वनाथ सिंह, एक प्रमुख छात्र नेता, ने इस मुद्दे पर अपनी दृढ़ राय प्रस्तुत की है। उन्होंने मजार की भूमि के वक्फ बोर्ड से संबंधों पर प्रश्न उठाया और कहा कि यह स्थान छात्रों के लिए लाभकारी नहीं है। विश्वनाथ ने जोर देकर कहा कि वे इस मजार को हटाने की प्रक्रिया का समर्थन करते हैं, ताकि कॉलेज परिसर को सामग्री और आस्थागत दृष्टिकोण से उचित बनाया जा सके।
साथ ही, अन्य छात्र नेताओं ने भी इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रियाएँ व्यक्त की हैं। कुछ छात्रों का मानना है कि कॉलेज के परिसर में धार्मिक स्थलों की मौजूदगी छात्रों के अधिकारों का उल्लंघन कर सकती है, जबकि अन्य ने इस विषय पर धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा करने की आवश्यकता पर विचार किया। इस विवाद के केंद्र में यह गंभीर विषय है कि क्या एक शैक्षणिक संस्थान में धार्मिक स्थल होना उचित है।
छात्रों ने यह भी मांग की कि इस मामले में कॉलेज प्रशासन को एक स्पष्ट नीति बनानी चाहिए जिससे छात्रों के अधिकारों के साथ-साथ धार्मिक स्वतंत्रता का भी संरक्षण हो सके
इतिहास और स्थापना
उदय प्रताप कॉलेज की अवधारणा राजर्षि उदय प्रताप सिंह जूदेव ने इस क्षेत्र के समाज में छात्रावास का निर्माण करने के उद्देश्य से पेश किया था। इसकी शुरुआत उस समय हुई जब जूदेव ने 1909 में वाराणसी में हीवेट रीजनल इंडिपेंडेंट की स्थापना की, जो 1921 में वैभवशाली पासपोर्ट बन गए और इसका नाम उदय प्रताप सचिवालय कॉलेज रखा गया।
छात्र संगठन, जैसे कि छात्र परिषद और विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक समूह, ने इस मुद्दे को उठाने के लिए एकजुटता दिखाई है। इन संगठनों ने प्रदर्शन और प्रचार के माध्यम से अपनी चिंताओं को स्पष्ट किया है, जिसमें मजार की उपस्थिति के खिलाफ आवाज उठाना शामिल है।
छात्रों का मानना है कि इस मुद्दे पर चर्चा होना आवश्यक है ताकि सभी हितधारकों की आवाज़ सुनी जा सके और एक संतोषजनक समाधान निकाला जा सके। छात्रों ने अपनी मांगों को स्पष्ट रूप से पेश किया है। उनमें से प्रमुख मांग यह है कि मजार को परिसर से हटाया जाए ताकि छात्र एक अधिक शांतिपूर्ण और अध्ययन केंद्रित वातावरण में पढ़ाई कर सकें।
इसके अलावा, छात्रों का यह भी कहना है कि कॉलेज प्रशासन को चाहिए कि वे इस मुद्दे पर व्यापक चर्चा करें और सभी छात्रों के विचारों को ध्यान में रखें। इस प्रकार के प्रदर्शन न केवल छात्रों की समस्याओं को उजागर करते हैं, बल्कि यह भी दर्शाते हैं कि वे शैक्षणिक और सामाजिक संतुलन को बनाए रखने के लिए गंभीर हैं।
(एजेंसी एंटरप्राइज़ के साथ)