सीबीआई उस युवक के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल कर सकती है जिसने कथित तौर पर टेलीग्राम पर यूजीसी-नेट पेपर का “छेड़छाड़” किया हुआ स्क्रीनशॉट प्रसारित किया था। | फोटो साभार: सुशील कुमार वर्मा
अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई उस युवक के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल कर सकती है जिसने टेलीग्राम पर यूजीसी-नेट प्रश्नपत्र का ‘छेड़छाड़’ किया हुआ स्क्रीनशॉट कथित तौर पर प्रसारित किया था, जिसके कारण केंद्रीय गृह मंत्रालय से संभावित ‘उल्लंघन’ के बारे में अलर्ट मिलने के बाद परीक्षा रद्द कर दी गई थी।
उन्होंने बताया कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को इस प्रकरण में कोई बड़े पैमाने पर साजिश नहीं मिली है और आरोप पत्र को धोखाधड़ी के प्रयास या धोखाधड़ी के अपराधों तक सीमित रखा जाएगा।
अधिकारियों ने बताया कि कथित यूजीसी-नेट पेपर लीक मामले में केंद्रीय एजेंसी की जांच में पाया गया कि 18 जून की परीक्षा के लिए लीक हुए प्रश्नपत्र के स्क्रीनशॉट से एक स्कूली छात्र ने छेड़छाड़ की थी।
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उन्होंने बताया कि सीबीआई ने अनौपचारिक रूप से सरकार को अपने निष्कर्षों से अवगत करा दिया है और वह युवक के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर सकती है।
इस परीक्षा के लिए 11 लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने पंजीकरण कराया था, जो जूनियर रिसर्च फेलोशिप, सहायक प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति और भारतीय विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों में पीएचडी में प्रवेश के लिए पात्रता निर्धारित करती है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय की भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) की राष्ट्रीय साइबर अपराध खतरा विश्लेषण इकाई की चेतावनी के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने 19 जून को परीक्षा रद्द कर दी थी।
शिक्षा मंत्रालय ने परीक्षा रद्द होने के बाद कहा था, “यूजीसी को गृह मंत्रालय के तहत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र की राष्ट्रीय साइबर अपराध खतरा विश्लेषण इकाई से परीक्षा के संबंध में कुछ इनपुट मिले थे। इन इनपुट से प्रथम दृष्टया संकेत मिलता है कि उक्त परीक्षा की सत्यनिष्ठा से समझौता किया गया है।”
जांच सीबीआई को सौंपी गई, जिसने पाया कि पेपर का कथित स्क्रीनशॉट स्कूल के छात्र ने एक ऐप का उपयोग करके बनाया था। उन्होंने कहा कि उसने स्क्रीनशॉट की तारीख 17 जून कर दी थी ताकि कुछ पैसे कमाए जा सकें और लोगों को यह आभास हो कि उसके पास प्रश्नपत्र तक पहुंच है।
उन्होंने बताया कि युवक ने यह आभास देने की कोशिश की कि वह बाद में होने वाले विषय-विशेष पेपरों का प्रबंध कर सकता है।
उन्होंने बताया कि केंद्रीय एजेंसी ने फोरेंसिक विशेषज्ञों से परामर्श किया, जिनका मानना है कि स्क्रीनशॉट के साथ छेड़छाड़ की गई है।
सूत्रों ने बताया कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को I4C से प्राप्त इनपुट के आधार पर परीक्षा रद्द कर दी गई थी कि पेपर डार्कनेट पर उपलब्ध था और मैसेजिंग प्लेटफॉर्म पर कथित तौर पर 5-6 लाख रुपये में बेचा जा रहा था।
यूजीसी-नेट अब 21 अगस्त से 4 सितंबर तक आयोजित किया जाएगा।